क्रिएटिनिन ब्लड में बनने वाला अपशिष्ट पदार्थ है। किडनी खून से क्रिएटिनिन को फिल्टर करने का काम करती है, जिससे ये यूरिन के साथ बाहर निकल जाता है। अगर शरीर में क्रिएटिनिन संतुलित स्तर में हो, तो सामान्य बात होती है, लेकिन इसका स्तर बढ़ने से किडनी से लेकर कई अंगों को नुकसान होने लगता है, लेकिन क्रिएटिनिन कम करने के आयुर्वेदिक उपाय अपनाकर आप इस समस्या में राहत पा सकते हैं। आइए, उन उपायों के बारे में जानते हैं -
शरीर में क्रिएटिनिन को फिल्टर करने का काम किडनी का होता है, लेकिन जब खान-पान की वजह से ये बाहर नहीं निकल पाता, तो इसकी मात्रा शरीर में अधिक हो जाती है। इसके बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन क्रिएटिनिन कम करने के घरेलू उपाय अपनाकर इससे मुक्ति पाई जा सकती है -
शरीर में क्रिएटिनिन बढ़ने से कई समस्याएं हो सकती हैं। इससे आपको ब्लड इंफेक्शन भी हो सकता है। क्रिएटिनिन लेवल बढ़ने से किडनी पर भी गहरा असर होने लगता है। लेकिन क्रिएटिनिन कम करने के उपाय इस समस्या से छुटकारा दिला सकते हैं, पर उससे पहले जानते हैं कि क्रिएटिनिन बढ़ने से शरीर में किस तरह की समस्याएं हो सकती हैं -
शरीर में क्रिएटिनिन बढ़ने पर कई तरह के लक्षण महसूस होने लगते है, लेकिन क्रिएटिनिन स्तर घटाने के देसी नुस्खे इस समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकते हैं -
शरीर में क्रिएटिनिन लेवल बढ़ने से कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। ऐसे में क्रिएटिनिन कम करने के आयुर्वेदिक उपाय अपनाकर इस समस्या से निजात पाया जा सकता है -
नेट्ल लीफ का इस्तेमाल शरीर में क्रिएटिनिन के लेवल को बैलेंस रखने में होता है। आप नेट्ल लीफ की चाय ले सकते हैं। इसमें मौजूद हिस्टामिन किडनी में जाकर ब्लज सर्कुलेशन को बढ़ाने का काम करता है। इसका सेवन करने से शरीर से अतिरिक्त क्रिएटिनिन को बाहर निकाला जा सकता है। यह क्रिएटिनिन कम करने का उपाय बहुत अच्छा साबित हो सकता है।
सेब के सिरके को क्रिएटिनिन कम करने के आयुर्वेदिक उपाय में से एक माना जाता है। सेब के सिरके में एसिटिक एसिड होता है। ऐसे में ये किडनी में स्टोन बनने के जोखिम को कम कर सकता है। अगर किडनी में स्टोन हो जाए, तो क्रिएटिनिन बनने का स्तर भी बढ़ सकता है। ऐसे में सेब के सिरके में मौजूद रोगाणुरोधी गुण बैक्टीरियल इंफेक्शन को रोकने में मदद कर सकते हैं।
सिंहपर्णी जड़ को डैंडेलियन रूट भी कहते हैं। इस जड़ी-बूटी का इस्तेमाल करने से पेशाब से जुड़ी समस्याएं खत्म हो सकती हैं। इस जड़ी-बूटी से आप क्रिएटिनिन के बढ़े हुए स्तर से छुटकारा पा सकते हैं। सिंहपर्णी जड़ क्रिएटिनिन कम करने के आयुर्वेदिक उपाय में से एक है।
सैल्विया को भी क्रिएटिनिन कम करने के आयुर्वेदिक उपाय में गिना जाता है। इस जड़ी-बूटी का इस्तेमाल शरीर में बढ़े हुए क्रिएटिनिन लेवल को कम करने के लिए किया जाता है। सैल्विया का इस्तेमाल करने से शरीर में ग्लोगेरुलर फिल्ट्रेशन रेट बढ़ने लगता है, जिससे क्रिएटिनिन को फिल्टर करने में मदद मिलती है।
डिहाइड्रेशन भी क्रिएटिनिन के लेवल को बढ़ा सकता है। ऐसे में कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं ताकि यूरिन के जरिए क्रिएटिनिन बाहर निकलने लगे। यूरिन कम आने या यूरिन में कमी आने से विषैले पदार्थ शरीर से बाहर नहीं निकल पाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा पानी पीकर खुद को हाइड्रेट रखें। इसे भी क्रिएटिनिन कम करने के आयुर्वेदिक उपाय के लिए जाना जाता है।
हर्बल टी भी क्रिएटिनिन लेवल को कम करने के लिए जानी जाती है। हर्बल टी पीने से ब्लड में मौजूद क्रिएटिनिन लेवल कम करने में मदद मिलती है। इसे पीने से यूरिन ज्यादा आता है, जिससे किडनी आसानी से क्रिएटिनिन को फिल्टर करके यूरिन के जरिए बाहर निकाल सकती है। ऐसे में कह सकते हैं कि हर्बल टी क्रिएटिनिन कम करने के आयुर्वेदिक उपाय में से एक है।
करेले में विटामिन्स, मिनरल्स, एंटी-ऑक्सिडेंट्स और फाइबर होते हैं। ऐसे में करेले में मौजूद ये प्राकृतिक मूत्रवर्धक गुण आपकी बहुत मदद करते हैं। करेले से ब्लड में क्रिएटिनिन के लेवल को कम करने में मदद मिल सकती है। बता दें कि करेले को क्रिएटिनिन कम करने के आयुर्वेदिक उपाय में से एक माना जाता है।
लहसुन में एंटी-ऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो मूत्रवर्धक के रूप में काम करते हैं। लहसुन का सेवन करने से ब्लड से क्रिएटिनिन को कम करने में मदद मिलती है। इसे भी क्रिएटिनिन कम करने के आयुर्वेदिक उपाय में गिना जा सकता है।
तो जैसा कि आपने जाना कि क्रिएटिनिन कम करने के आयुर्वेदिक उपाय आपको इस समस्या से राहत दिला सकते हैं। ऐसे में फिर भी इन्हें अपनाने से पहले आप एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
अगर आपको भी किडनी या किडनी के रोग से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा में आकर करवा सकते हैं। यहां पर सन् 1937 से किडनी रोगियों का इलाज किया जा रहा है और हाल ही में इसे डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में किडनी की बीमारी से जूझ रहे रोगियों का इलाज कर रहे हैं, क्योंकि आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना ही भारतीय आयुर्वेद के सहारे किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है।
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